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लेट् लकार का प्रयोग कहाँ होता है?  सूत्र - लिङर्थे लेट्

SANSKRIT SUBJECT PADKKAR BHI BAN SAKTE HO IAS AAIYE JANTE HAI BANARAS HINDU UNIVERSITY KE STUDENT VIMAL PATHAK SE

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Mr. Vimal pathak BANARAS HINDU UNIVERSITY VARANASI - 221005

अथ संज्ञाप्रकरणम् (वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदीम्)

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"★ अथ संज्ञाप्रकरणम्★" १-  हलन्त्यम् (१/३/३) उपदेशे ऽन्त्यं हलित्स्यात्। उपदेश आद्योच्चारणम्। सूत्रेष्वदृष्टं पदं सूत्रान्तरादनुवर्तनीयं सर्वत्र॥ २-- अदर्शनं लोपः (१/१/६०) प्रसक्तस्यादर्शनं लोपसंज्ञं स्यात्। ३--- तस्य लोपः (१/३/९) तस्येतो लोपः स्यात्। णादयो ऽणाद्यर्थाः। ४---- आदिरन्त्येन सहेता (१/१/७१) अन्त्येनेता सहति आदिर्मध्यगानां स्वस्य च संज्ञा स्यात् यथाणिति अ इ उ वर्णानां संज्ञा। एवमच् हल् अलित्यादयः॥ ५-  ऊकालो ऽज्झ्रस्वदीर्घप्लुतः (१/२/२७) उश्च ऊश्च ऊ३श्च वः॑ वां कालो यस्य सो ऽच् क्रमाद् ह्रस्वदीर्घप्लुतसंज्ञः स्यात्। स प्रत्येकमुदात्तादि भेदेन त्रिधा। ६--  उच्चैरुदात्तः (१/२/२९) ७--  नीचैरनुदात्तः (१/२/३०) ८--  समाहारः स्वरतिः (१/२/३१) स नवविधो ऽपि प्रत्येकमनुनासिकत्वाननुनासिकत्वाभ्यां द्विधा॥ ९----   मुखनासिकावचनो ऽनुनासिकः (१/२/८) मुखसहतिनासिकयोच्चार्यमाणो वर्णो ऽनुनासिकसंज्ञः स्यात्। तदित्थम् - अ इ उ ऋ एषां वर्णानां प्रत्येकमष्टादश भेदाः। ऌवर्णस्य द्वादश, तस्य दीर्घाभावात्। एचामपि द्वादश, तेषां ह्रस्वाभावात्॥ १०---  तुल्यास्यप्रयत्नं सवर्णम् (१/१/८) ता
संस्कृताय नमः
राम शब्द के रूप ( राम शब्दस्य रूपाणि सर्वेषु विभक्तिषु सर्वेषु वचनेषु च) राम शब्द अकारान्त पुल्लिंग शब्द है, सभी अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप राम शब्द के समान ही चलेंगे। विभक्ति एकवचन द्विवचन      बहुवचन प्रथमा    रामः        रामौ          रामाः द्वितीया  रामम्       रामौ           रामान् तृतीया।  रामेण       रामाभ्याम्     रामैः  चर्तुथी   रामाय      माभ्याम्    रामेभ्यः पञ्चमी।  रामात्      रामाभ्याम्           रामेभ्यः  षष्ठी।     रामस्य       रामयोः         रामाणाम् सप्तमी     रामे।         रामयोः।       रामेषु सम्बोधन।  हे राम!      हे रामौ!     हे रामाः! राम शब्द के समान ही सभी अकारान्त पुल्लिंग शब्दों के रूप चलेंगे। जैसे --- बालक, रमेश, शिव, महेश इत्यादि।

महाकवि भारवि रचित अद्भुत श्लोक#संस्कृत की विशेषता #न नोननुन्नो नुन्नोनो

★संस्कृत भाषा का महाकवि भारवि रचित अद्भुत श्लोक ★ किरातार्जुनीय काव्य संग्रह में केवल "न" व्यंजन से अद्भुत श्लोक बनाया है और गजब का कौशल्य  प्रयोग करके भारवि नामक महाकवि ने थोड़े में बहुत कहा है:- *न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नाना नना ननु।* *नुन्नोSनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नन्नुनन्नुनुत्।।*    ◆  अर्थात्  जो मनुष्य युद्ध में अपने से दुर्बल मनुष्य के हाथों घायल हुआ है वह सच्चा मनुष्य नहीं है। ऐसे ही अपने से दुर्बल को घायल करता है वो भी मनुष्य नहीं है। घायल मनुष्य का स्वामी यदि घायल न हुआ हो तो ऐसे मनुष्य को घायल नहीं कहते और घायल मनुष्य को घायल करें वो भी मनुष्य नहीं है।।           पाणिनीय व्याकरणम् Vimal pathak